लॉकडाउन वो समय था जब घरेलू हिंसा के मामले काफी बढ़ गए. घरेलू हिंसा का अनुभव करने वाली ८६% महिलाएं भारत में मदद ही नहीं मांगती हैं. इसलिए लॉकडाउन में महिलाओं का ज्यादा से ज्यादा मामलों में खुल कर बोलना एक चौकाने वाली बात है।